मरहम बने कइओ के जख्मो पर,
जब हम जख्मी हुए, खुद को नजरंदाज पाया,
अजीब सी बस्ती है तेरी इंसानो की ए खुदा,
यहां हर एक के पास जख्म कुरेदने का शौख पाया
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मरहम बने कइओ के जख्मो पर,
जब हम जख्मी हुए, खुद को नजरंदाज पाया,
अजीब सी बस्ती है तेरी इंसानो की ए खुदा,
यहां हर एक के पास जख्म कुरेदने का शौख पाया
ना रुक ए जिंदगी, अभी काफी कुछ सीखना बाकी है,
सांसों को चलने दे ऐसे ही, अभी खुल के जीना बाकी है,..
कुछ बोल ना, सुन ना और काफी कुछ सुना ना बाकी है,
पाया भी है, खोया भी है, पर कुछ खो कर पाना बाकी है,..
तपता सूरज ही देखा मैंने, अभी शाम का ठहराव बाकी है,
बहोत सुलझाई उलझने, अभी खुद को सुलझाना बाकी है,..
रंग बदलती इस दुनिया में, खुद का एक रंग चुन ना बाकी है,
अक्सर ख्वाब सजाए औरों के, मेरे तो अभी देखना बाकी है,..
जिसने जेसा चाहा, आज तक वेसा किरदार निभाया मैंने,
ना रुक ए जिंदगी, अभी मेरा खुद का किरदार निभाना बाकी है.......
- खुशाली जोशी
ફિતરત જ છે તારી, હર એક પળ રમત રમી જવાની,
એ જીંદગી, જો જે તું પણ એક દિવસ થાપ ખઈ જવાની,..
કલમ રિસાઇ છે મારાથી આજકાલ
શબ્દો કોતરવા કરે ઇનકાર,
લાગણી ને ડુમો ભરાયો ઘણે,
ટળવળતા કાગળ નો પણ ન કર્યો વિચાર...
यादों का कुछ ऐसा उछला तुफान है
गहराईओ में डुबा मेरा पुरा वर्तमान है
चाह कर भी डुब ना सकु, हाल मेरा बेहाल है
मझधार कस्ती को अब किनारा दुश्वार है
धुंधली सी मंजिल पर कुछ अनसुनी पुकार है
तैरने को मजबुर कर रही, जाने ये कैसी आस है
ना डुबना चाहती हुं मैं, और ना ही तैरना गवार है
ये कैसा वजुद है मेरा, जैसे सिर्फ मेरे अपनो का ही मोहताज है
એક દિવસ અરીસો ખીજાયો મને,
કઈ દુનીયામાં જીવે છે તું??
થોડુ સજી કરી લે, મને દુનીયાની નજર ગણી લે..
થોડુ મારુ માની લે, આ દુનીયા ભોટ છે,
મનની સુંદરતા નથી દેખાતી અમને,
એ જ અમારી મોટી ખોટ છે.....
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દિદાર કરાવી ને બાહ્ય સજતા શીખવે,
જો ને એક અરીસો સૌને ઠગતા શીખવે...
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એક અરીસો ગજબ વફાદારી કરી ગયો,
પોતે તુટી ગયો પણ દૂનીયાભરના ભેદ સાચવી ગયો..
#KJ ✍️✍️
રોજ દિવસનો પદડો ખુલે ને નવો મંચ હોય છે,
હું નાયક એક ને પાત્રો ભજવાતા અનેક હોય છે,
#KJ ✍️
आज मेरी कुछ पुरानी तस्वीरे मिली... देख के याद आया के मुझे खुलके हसना भी आता है,.... बस खुलके अब हसा नही जाता वो अलग बात है... खिलखिला कर ...