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Saturday, February 10, 2024

चाय ❤


टपरी की चाय मे भी एक अलग सा नशा है... 
किसी की नींद उडाती है... 
तो किसी के गम भूलाती है... 
मील जाते है दोस्त अगर टपरी पे एकसाथ कहीं,... 
तो ये एक चाय ही है जो मेहफिल सजाती है... 
लोग दीवाने युँ ही नही इसके... 
इसकी एक घूँट..दवाई सा इलाज कराती है.... 

                                        - खुशाली जोशी

Saturday, August 5, 2023

चाय- कोफ़ी ❤

मै चाय सी मीठी, तु कोफ़ी सा कड़क, 

मेरे हजार नखरे, तेरी एक सी महेक... 

दीवाने दोनों के हैं चारो तरफ

दोनों एक से, फिर भी एकदूसरे से अलग... 

मेरी बिना उबले ना भाती झलक

और तु धीमी आँच पे भी मनमोहक... 

मे थोडी सी पत्ती मे ना आती समझ

और तु जरा सी चुटकी मे भी देता सब सुलझ... 

तेरे संग चर्चा और मेरे संग होती बहस, 

तु शांत चित्त, और मै बातो की लहर... 

- खुशाली जोशी

Sunday, July 16, 2023

નિદૉષ મન........

સપનાઓ પણ જો ને ક્યા સમજે છે!! 
ખુલ્લી આંખે પણ આવી ચડે છે, 
એમનમ નથી રેવા તુ આમ  અતડુ
આ ભુતકાળ દરેક જગ્યાએ નડે છે, 
ઊંઘ જ થાય છે બસ હવે, નિંદર પેલા જેવી ક્યા ચડે છે!! 
અનેક ઇચ્છાઓ અધુરી છતાં, નિદૉષ મન નવી સેવ્યા કરે છે!! 

#KJ ✍️

Saturday, July 8, 2023

दरिया : तु मुझे बहोत अपना सा लगता है..


तु मुझे बहोत अपना सा लगता हैं

इस भीड़ मे खोया हुआ सपना सा लगता है

एक अजीब सा सुकून है तेरे पास, 

जैसे  की तु मुझे सुनता सा लगता हैं, 

जाने कितने राज दफन है तेरी इस गेहराईओ में

तेरा हाल मुझे कुछ मेरे दिल सा लगता हैं.... 


#KJ ✍️



अपने आप को जिंदा रखा है

 मेरे टूटे हुए दिल मे अभी भी तुझे संभाल के रखा है

चुभ न जाए कोई टुकडा, खयाल तेरा कुछ ऐसा रखा है


शिकायते करने की आदत नही है मुझे

तूने रुलाया हैं फिर भी, अपनीं दुआ मे तुझे सलामत रखा हैं


प्यार सच्चा था मेरा, काश तु समज पाता

तुझे इस तरह जाते देख, मरके भी अपने आप को जिंदा रखा है


#KJ✍️ (Writing challenge from given pic done) 

Wednesday, March 22, 2023

કચાશ શેની છે.....

કંઇ જ નથી રેવાનું પાસ, 

તોય આ આશ શેની છે?


નથી આવાનું કોઈ સાથ, 

તોય આ તલાશ શેની છે!


મીઠા છે ઝરણા સંબંધો ના બધે, 

તોય આ પ્યાસ શેની છે! ,


કોરી કટ પાપણો માં ક્યારેક, 

આ ભીનાશ શેની છે!.. 


શું તારુ ને શું મારુ,...

છોડ ને, આ બધી કાસ શેની છે! 


એક જ જીવન છે આ, માણી લે.. 

જીવવા મા આ કચાશ શેની છે!...


-KJ ✍️

Friday, January 6, 2023

मरहम....

मरहम बने कइओ के जख्मो पर,

जब हम जख्मी हुए, खुद को नजरंदाज पाया,

अजीब सी बस्ती है तेरी इंसानो की ए खुदा,

यहां हर एक के पास जख्म कुरेदने का शौख पाया 

तस्वीर 📸

आज मेरी कुछ पुरानी तस्वीरे मिली...  देख के याद आया के मुझे खुलके हसना भी आता है,....  बस खुलके अब हसा नही जाता वो अलग बात है...  खिलखिला कर ...