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Saturday, July 8, 2023

अपने आप को जिंदा रखा है

 मेरे टूटे हुए दिल मे अभी भी तुझे संभाल के रखा है

चुभ न जाए कोई टुकडा, खयाल तेरा कुछ ऐसा रखा है


शिकायते करने की आदत नही है मुझे

तूने रुलाया हैं फिर भी, अपनीं दुआ मे तुझे सलामत रखा हैं


प्यार सच्चा था मेरा, काश तु समज पाता

तुझे इस तरह जाते देख, मरके भी अपने आप को जिंदा रखा है


#KJ✍️ (Writing challenge from given pic done) 

Wednesday, March 22, 2023

કચાશ શેની છે.....

કંઇ જ નથી રેવાનું પાસ, 

તોય આ આશ શેની છે?


નથી આવાનું કોઈ સાથ, 

તોય આ તલાશ શેની છે!


મીઠા છે ઝરણા સંબંધો ના બધે, 

તોય આ પ્યાસ શેની છે! ,


કોરી કટ પાપણો માં ક્યારેક, 

આ ભીનાશ શેની છે!.. 


શું તારુ ને શું મારુ,...

છોડ ને, આ બધી કાસ શેની છે! 


એક જ જીવન છે આ, માણી લે.. 

જીવવા મા આ કચાશ શેની છે!...


-KJ ✍️

Friday, January 6, 2023

मरहम....

मरहम बने कइओ के जख्मो पर,

जब हम जख्मी हुए, खुद को नजरंदाज पाया,

अजीब सी बस्ती है तेरी इंसानो की ए खुदा,

यहां हर एक के पास जख्म कुरेदने का शौख पाया 

Tuesday, December 27, 2022

ना रुक ए जिंदगी.....

ना रुक ए जिंदगी, अभी काफी कुछ सीखना बाकी है,

सांसों को चलने दे ऐसे ही, अभी खुल के जीना बाकी है,..

कुछ बोल ना, सुन ना और काफी कुछ सुना ना बाकी है,

पाया भी है, खोया भी है, पर कुछ खो कर पाना बाकी है,..

तपता सूरज ही देखा मैंने, अभी शाम का ठहराव बाकी है,

बहोत सुलझाई उलझने, अभी खुद को सुलझाना बाकी है,..

रंग बदलती इस दुनिया में, खुद का एक रंग चुन‌ ना बाकी है,

अक्सर ख्वाब सजाए औरों के, मेरे तो अभी देखना बाकी है,..

जिसने जेसा चाहा, आज तक वेसा किरदार निभाया मैंने,

 ना रुक ए जिंदगी, अभी मेरा खुद का किरदार निभाना बाकी है.......

- खुशाली जोशी 

Tuesday, December 20, 2022

જીંદગી થાપ ખઈ જવાની

 ફિતરત જ છે તારી, હર એક પળ રમત રમી જવાની,

એ જીંદગી, જો જે તું પણ એક દિવસ થાપ ખઈ જવાની,..


Tuesday, November 8, 2022

કલમ રિસાઇ છે...

કલમ રિસાઇ છે મારાથી આજકાલ

શબ્દો કોતરવા કરે ઇનકાર,

લાગણી ને ડુમો ભરાયો ઘણે,

ટળવળતા કાગળ નો પણ ન કર્યો વિચાર...

Wednesday, August 3, 2022

वजुद...

यादों का कुछ ऐसा उछला तुफान है

गहराईओ में डुबा मेरा पुरा वर्तमान है

चाह कर भी डुब ना सकु, हाल मेरा बेहाल है 

मझधार कस्ती को अब किनारा दुश्वार है 

धुंधली सी मंजिल पर कुछ अनसुनी पुकार है 

तैरने को मजबुर कर रही, जाने ये कैसी आस है

ना डुबना चाहती हुं मैं, और ना ही तैरना गवार है 

ये कैसा वजुद है मेरा, जैसे सिर्फ मेरे अपनो का ही मोहताज है

तस्वीर 📸

आज मेरी कुछ पुरानी तस्वीरे मिली...  देख के याद आया के मुझे खुलके हसना भी आता है,....  बस खुलके अब हसा नही जाता वो अलग बात है...  खिलखिला कर ...