मै चाय सी मीठी, तु कोफ़ी सा कड़क,
मेरे हजार नखरे, तेरी एक सी महेक...
दीवाने दोनों के हैं चारो तरफ
दोनों एक से, फिर भी एकदूसरे से अलग...
मेरी बिना उबले ना भाती झलक
और तु धीमी आँच पे भी मनमोहक...
मे थोडी सी पत्ती मे ना आती समझ
और तु जरा सी चुटकी मे भी देता सब सुलझ...
तेरे संग चर्चा और मेरे संग होती बहस,
तु शांत चित्त, और मै बातो की लहर...
- खुशाली जोशी
3 comments:
👏👐👌☕😍😊❤
Beautiful
♥️
Post a Comment